प्रबन्ध निदेशक की कलम से.....
"सा विद्या या विमुक्तये"
किसी भी क्षेत्र या समाज का विकास वहाँ के शैक्षिक व सांस्कृतिक गतिविधियों पर आधारित होता है तथा इसका अभाव ही समाज या क्षेत्र के अवनति का प्रमुख कारण बनता है। चार समीपवर्ती राज्यों यथा बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ से घिरा माँ विंध्यवासिनी के आँचल में बसा जनपद सोनभद्र, विविध प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण रहने के बावजूद भी पिछड़ा माना जाता है, बाहरी लोग यहाँ के लोगों को बहुत ही उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं, इसका मूल कारण इस जनपद में अत्याधुनिक शिक्षण संस्थाओं का अभाव है, जिसके कारण यहाँ के बच्चे बाहर जाकर शिक्षा ग्रहण करने को विवश होते हैं। हमारे पूज्य पिता स्व. आद्याप्रसाद पाण्डेय जी व पूज्यनीया माँ श्रीमती अमरावती देवी ने हम लोगों को बचपन से ही शिक्षा के प्रति सदैव गंभीर रहने की प्रेरणा दी थीं, उनका दृढ़मत रहा कि प्रगतिशील शिक्षण संस्थान ही क्षेत्र व समाज के उन्नति का मूल आधार होता है। कहीं न कहीं हम लोगों से उनकी अपेक्षा थी कि अत्याधुनिक शिक्षण संस्थान स्थापित कर कुशल अनुशासित, ईमानदार और प्रगतिशील शिक्षा जो संस्कारों से सराबोर हो, का संचालन व संवर्धन किया जाये जिससे हमारा जनपद भी शिक्षा की राजधानी का स्थान प्राप्त करे व यहाँ के पिछड़ेपन एवं अज्ञान के अंधकार का समूल नाश हो सके।
उक्त महनीय कार्य को माता-पिता का अमोघ आशीष मानकर हमलोगों ने पूरे परिवार सहित मनसा-वाचा-कर्मणा समर्पित सेवा व जनकल्याण की भावाना से प्रेरित हो आप सब के आशीर्वाद से श्री एकेडमी की स्थापना की जो राबर्ट्सगंज में विद्यार्थियों को प्रगतिशील शिक्षा उपलब्ध करा रही है, इसी क्रम में संस्था की दूसरी शाखा अपने मातृभूमि ग्राम पसही कलों, पोस्ट तेंदू, सोनभद में स्थापित कर इस क्षेत्र को भी अनुशासित, संस्कारित तथा अत्याधुनिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर अपने मनीषियों के सिद्धान्तों का अनुपालन करते हुए पूरे समाज को समर्पित कर रहे हैं। हमारे जन्मस्थल से देश के गौरवशाली इतिहास की पृष्ठभूमि जुटी है, ग्राम पसही कलॉ से पांच स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का देश के स्वाधीनता हेतु समर्पण के त्याग की प्रेरणा व आशीष हमारे साथ है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी विद्वतजनों का आशीर्वाद हमें शक्ति प्रदान करेगा जिससे हम सब ज्ञान संवर्धन के इस पुनीत कार्य को कुशलता पूर्वक संचालित व संपादित कर सकेंगे।